आया बमभोला था
मुना देवी माता पिता पंडित ब्रजनाथ जी के
कई हुए पूतो में सही में वे सपूत थे।
मालवा के रहे इस हेतु मालवीय हुए मदन मोहन महामना देव दूत थे।
देखने में सीधे सादे भव्य रूप रंग वाले किन्तु बुद्धि सम्पदा की खान वे अकूत थे।
त्यागी तपोनिष्ट हुए खुद में विशिष्ट हुए बहुतों के इष्ट हुए किन्तु अवधूत थे।
सृष्टि की समुन्नति उदात्त भावना रखे उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
दृष्टि की पवित्रता का भान, ज्ञान से लखे उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
वृष्टि का स्वाभाव ले उदार भावना रखे उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
हृष्टि की सुमुग्धता सदा समाज हेतु हो तो समाज प्यार से पुकारता महामना।।
कर्म ही है पूजा जान कर्मठी सा कार्य करे तो समाज प्यार से पुकारता महामना।
धर्मं को है धारता औ धर्मं को संवारता सुधर्म के लिए धरा पुकारती महामना।
शर्म त्याग लोक के लिए जो याचना करे उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
मर्म दीन-दुखियों का और सभ्य सुखियों का जानता, उसे धरा पुकारती महामना।।
देश धर्मं-वेश धर्मं को जो पहचानता उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
साधना करे परन्तु साध ना रखे कभी उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
बांधना जो जानता परन्तु खुद बंधा नहीं उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।
कर के खुद आराधना स्वयं आराध्य हो गया उसे समाज प्यार से पुकारता महामना।।
हिन्दुओं की कोमल कड़ी न कही टूट जाये इसीलिए रुढ़िवादियों को कस डांटे थे।
धर्मगत कुरीतियों को नीतिगत अनीतियों को दूर करने के लिए ही जनेऊ बांटे थे।
देश धर्मं फुले फले सुन्दराति सुन्दर हो ध्यान रख उसको नियम बीच छांटे थे।
आज महामना महामना जग कहता है किन्तु महामना राह पग-पग कांटे थे।।
उनका निज ढंग रहा पुलकित हर अंग रहा जीता हर जंग जाने कला कहा सीखा था।
शब्द शब्द मंत्र रहा भाव बोध तंत्र रहा प्राण भी स्वतंत्र, नेक नेम नग नीका था।
हाथ में छड़ी रही वाणी की जड़ी रही श्वेत पाग के समक्ष राजमुकुट फीका था।
पकी-पकी मोछ रही पकी-पकी सोच रही उन्नत ललाट पर गोल-गोल टीका था।।
ऊँच-नीच भेद-भाव तीन और तेरह का दक्षिण से पूर्व पश्चिमोत्तर टटोला था।
तब जाके ब्राह्मण महासंघ को बनाया और सभी द्विज एक यह महामंत्र बोला था।
गोल मेज काँट सेज सभी जगे दिव्य तेज शिक्षा के लिए महान एक केंद्र खोला था।
गले में दुपट्टा डील-डौल हट्टा-कट्टा रहा महामना रूप धारे आया बमभोला था।
25 दिसंबर जन्म दिवस पर काहे नहीं पोस्ट किये महराज ? चलिए देर से ही सही महामना को आपकी शब्दांजलि तो पढ़ने को मिली।
जवाब देंहटाएंआया बम भोला था को शीर्षक वाले कॉलम में लीखिए।
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