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डा.सविता चतुर्वेदी एवं डा . उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन '

टिप्पणियाँ

  1. बगल में सुंदर किताब है, जनाब समाचार पढ़ रहे हैं!

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  2. देवेन्द्र जी की टिप्पड़ी सच लाजवाब है

    सुंदर है दृष्टि इसलिए सुन्दर शवाब है

    मैं हूँ प्रकाशवान तो वो आफताब है

    कविता में चमक चांदनी का महताब है

    कंचन में जो निखार है उसका वो आब है

    पूजा है, प्यार और मेरा भाव, ख्वाब है

    जिससे हमारी जिन्दगी का ज्ञानपुंज है

    सच है कि बंधु ! जिन्दगी ,पत्नी ,किताब है

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  3. मुबारक हो श्रीमान! आप ठहरे प्रचंड विद्वान।

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