उलट गई संवेदना ,पलट गया व्यवहार। मात पिता लगने लगे ,अब बासी अखबार।। राजा वेश्या अग्नि यम ,बच्चा याचक चोर। पर पीड़ा जाने नहीं ,नहीं आंख की लोर।। सत्ता पाने के लिए, सब पागल बेचैन। मिर्चा को गुड़ बोलते ,दिन को कहते रैन। ।
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