शुभ सोच दे

माथ  पर  रोली व  अक्षत  रोच दे
गैर के  बारे में  भी   शुभ  सोच दे
जान जाओगे  क्या होता  संगठन 
सिर्फ मधुमक्खी के  छत्ता कोच दे
बूढ़े हैं  माँ  बाप  उनको  मत रुला
अबसे भी उठ  आँसुओंको पोछ दे
छल कपट भगवान को रुचता नहीं
आवरण  चेहरे  का  अपने  नोच दे
क्यों  अहं में  गरजता  है  रात दिन 
कुछ भी  स्थाई  नहीं  मुख  लोच दे

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